JNU छात्रसंघ चुनाव 2025- अदिति मिश्रा अध्यक्ष बनीं:2017 में BHU के प्रोटेस्ट की हिस्सा थीं, जेंडर वॉयलेंस पर कर रहीं रिसर्च, जानें प्रोफाइल | Sarkari Result Info

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन यानी JNUSU इलेक्शन का रिजल्ट घोषित हो गया है। सभी चार पदों पर लेफ्ट यूनिटी की जीत हुई है। अदिति मिश्रा JNUSU की नई प्रेसिडेंट बनी हैं। वो AISA (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) से लेफ्ट यूनिटी पैनल की उम्मीदवार थीं। वहीं, वाइस प्रेसिडेंट की पोस्ट पर SFI की गोपिका बाबू, जनरल सेक्रेटरी के पद पर DSF के सुनील यादव और जॉइंट सेक्रेटरी पर AISA की दानिश अली को जीत हासिल हुई है। 2017 में BHU के प्रोटेस्ट की हिस्सा रहीं 1 सितंबर 2017 की रात BHU की एक छात्रा ने आरोप लगाया कि मोटरसाइकिल सवार कुछ युवकों ने कैंपस के अंदर उसके साथ छेड़खानी की। छात्रा की शिकायत के बाद यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन और सिक्योरिटी गॉर्ड ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके उलट, पूछा कि वो इतनी रात को हॉस्टल से बाहर क्यों निकली थी। इस जवाब से छात्राओं में रोष पैदा हुआ। अगले दिन यानी 22 सितंबर की सुबह से छात्राओं ने यूनिवर्सिटी के मेन गेट (सिंहद्वार) पर प्रोटेस्ट और नारेबाजी शुरू कर दी। उनका नारा था – ‘हमें सुरक्षा नहीं, समानता चाहिए।’ छात्राओं का कहना था कि रात 8 बजे हॉस्टल में वापस लौटने की जबरन कर्फ्यू नीति और जेंडर बेस्ड डिस्क्रीमिनेशन यानी लिंग आधारित भेदभाव बंद किया जाए। साथ ही कैंपस में CCTV और गार्ड पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए। इस प्रोटेस्ट में अदिति भी शामिल थीं। उस दौरान वे BHU के डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन कर रही थीं। आंदोलन तीसरे दिन तक जारी रहा और इसमें सैकड़ों छात्राएं शामिल हो गईं। इस पर प्रशासन ने बातचीत के बजाय पुलिस बुला ली और 23 सितंबर की रात को पुलिस ने स्टूडेंट्स पर लाठीचार्ज कर दिया। लाठीचार्ज में कई छात्राएं घायल हुईं। ये घटना सोशल मीडिया और नेशनल मीडिया में तेजी से वायरल हो गई। फिर पूरे देश में नारी सुरक्षा और समान अधिकारों पर नई बहस छिड़ गई। पुडुचेरी यूनिवर्सिटी के भगवाकरण के विरोध में हिस्सा लिया मास्टर्स के लिए अदिति ने पुडुचेरी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। साल 2018 में दाखिले के बाद उन्होंने देखा कि यूनिवर्सिटी कैंपस हिंदुत्व विचारधारा से जुड़े नारों और बैनरों से पटा पड़ा था। कैंपस का पूरी तरीके से भगवाकरण किया जा रहा था। फिर उन्होंने कम्युनल नारों वाले बैनर लगाने का विरोध किया। साथ ही यूनिवर्सिटी के वॉइस चांसलर ऑफिस का घेराव करने में हिस्सा लिया। इंटरनल कमेटी की रिप्रेजेंटेटिव रहीं साल 2024 में अदिति इंटरनल कमेटी (IC) की रिप्रेजेंटेटिव चुनी गईं। उन्हें PhD वर्ग के स्टूडेंट के प्रतिनिधी के रूप में चुना गया। अपने कार्यकाल में अदिति ने IC को जवाबदेह और स्टूडेंट्स के लिए एक्सेसेबल बनाने के लिए काम किया। उनके प्रयासों के चलते IC में एक सीट किसी भी लिंग पहचान (any gender identity) के छात्र के लिए उपलब्ध है। ये इन्क्लूसिव जेंडर सेंसिटाइजेशन यानी समावेशी लैंगिक संवेदीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है। यूनिवर्सिटी में इंटरनल कमेटी का गठन स्टूडेंट वेलफेयर, एकेडमिक इन्वायर्नमेंट, डिसिप्लिन और जेंडर सेंसिटिविटी जैसे मुद्दों पर स्टूडेंट्स का पार्टिसिपेशन सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। अदिति जेंडर वॉयलेंस यानी लैंगिक हिंसा और 2012 से उत्तर प्रदेश की महिलाओं द्वारा इसके प्रति किए जा रहे प्रतिरोध पर अपना डॉक्ट्रेट रिसर्च कर रही हैं। 4 नवंबर को वोटिंग हुई ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) ने अदिति को JNUSU इलेक्शन 2025 में लेफ्ट यूनिटी पैनल के प्रेसिडेंट पोस्ट पर चुनाव में उतारा। JNUSU इलेक्शन की वोटिंग 4 नवंबर को हुई थी। वोटिंग के बाद उसी रात से काउंटिंग शुरू हो गई थी। इस बार चारों सेंट्रल पदों के लिए 20 कैंडिडेट्स चुनावी मैदान में थे। ‘बाबा का नहीं बाबा साहब का राज है’ अदिति ने अपने प्रेसिडेंशियल स्पीच में मोदी है तो मुमकिन है जुमले पर तंज करते हुए चीफ जस्टिस पर जूते चलाने के मुद्दे को उठाया। कहा कि जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है तब से दलितों पर अत्याचार बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने ऊना, सब्बीरपुर और हरिओम वाल्मीकि का जिक्र करते हुए कहा कि ‘JNU में बाबा का नहीं बाबा साहब का राज है।’ JNU में शुरू से ही लेफ्ट का दबदबा साल 1975 में पहली बार जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (JNUSU) का चुनाव हुआ था। JNUSU के पहले अध्यक्ष स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी SFI से डीपी त्रिपाठी बने थे। इसके बाद 1976-77 में SFI से प्रकाश करात और सीताराम येचुरी JNUSU के प्रेसिडेंट बने। दोनों आगे चलकर CPI (M) के जनरल सेक्रेटरी भी रहे। JNUSU के पिछले 10 प्रेसिडेंट:

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